सोमवार, 3 सितंबर 2012

बच्चे .............




बच्चे उगे
जैसे उगते है, पौधे जंगल में

बच्चे बढे
जैसे बढते हैं, देवदार जंगल में

बच्चे हँसे
जैसे हँसते है, फूल जंगल में

बच्चे सहें
जैसे सहती है दूब जंगल में

बच्चे जलें
जैसे जलते हैं पलाश, जंगल में

बच्चे खिले
जैसे खिलती है हरियाली, जंगल में

बच्चे खुले
जैसे खुलता हैं आकाश जंगल में

बच्चे झरे
जैसे झरती है धूप, जंगल में

बच्चे उलझे
जैसे उलझती हैं झाड, जंगल में

बच्चे खोजे
जैसे खोजे है कोई राह, जंगल में

बच्चे घिरे
जैसे घिरते हैं मेमने, जंगल में

बच्चे लड़े
जैसे लड़ती हैं जिजीविषा, जंगल मे

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