सोमवार, 3 सितंबर 2012


अक्ल परीशां कि दिल बदले,
दिल परीशां कि अकल बदले

कभी तो खुशगवार मौकों पे
उदास लम्हों का दखल बदले

आइना भी अब डराये है मुझे ,
जिंदगी कुछ तो शकल बदले

चाँदसूरज जमीनओआसमान
कहीं तो कुछ आजकल बदले

बाद खुदकुशियों के कमसकम
क्या बदला आज जो कल बदले

हर्फों के नए बीज डालो तो सही
नारों की कुछ तो फसल बदले

निजाम बदल बदल के देखा है
नाजिमों की अब नसल बदले

वो जो ताजिदगी पामाल रहा
उसकी पेशानियों पे बल बदले

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