मंगलवार, 10 जुलाई 2012


हे हिग्स बोसान 
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सुनो, सुनो, गाँव वालों ,सुनो !


ब्रम्हांड कैसे बना
कैसे आया चीजों में
द्रव्य मान 
राज़ खुल गया है 
सृष्टि का स्वामी महान 
पाताल में फिर
अवतरित हुआ है 
अज्ञान की क्षय हो
हिग्स बोसान की ! 
जय हो , जय हो !


हे हिग्स् बोसोन !
ये क्या हुआ 
एक ही तो था अनश्वर 
क्योंकर मार दिया ......
दुःखकातर हो गरीब 
अब किसको गोहरायेगा
डायरिया से मर रहा
दिमागी बुखार में तड़प रहा 
बच्चा अब तुम्हारा नाम 
जपने से बच जाएगा....


ये बोसान कोई
बड़ा साधू है ,बाबा है ,
क्या है ??
या उल्टी बुखार दस्त की
कोई नयी दवा है 
इसका डोज़ कैसे लूं 
चूरन जैसे चाटूं
या गुनगुने पानी के साथ पी लूं 
बाबा की तस्वीर
काले धागे में बाँध लटका लूं 
या स्नान के बाद 
एक सौ आठ बार ध्यान करूं
क्या करूं ..........


हे बोसान ! 
पाताल से कब उपराओगे 
धरती पर कहाँ डेरा जमाओगे
बस एक बार
दर्शन दे कर तार दो 
इस दारुण कष्ट से 
अब तो उबार दो 
तुम्हारा पहला सत्संग 
कहाँ होगा बता देना 
इतना बस प्रवचन में
हम सबको समझा देना 
ये जनम जनम की गरीबी
किसका छल है
हमारे पूर्व जन्म के
किन कर्मों का फल है 
या इसके पीछे भी 
कोई गाडपार्टिकल है ................
........................................पंकज ...

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