सोमवार, 28 जनवरी 2013


Monday, November 19, 2012
कभी इक 
आग का गोला थी धरा 
पर ,जीवन का नामोंनिशां
कहीं .......नहीं था 
बरसा घन
घोर.........
जल जल
चहुँ ओर 
नम हुई धरती 
अग्नि और जल के बीच ही 
पलता है जीवन कहीँ...
सब जल जल हो  
तब भी 
जलता है जीवन कहीं ... 
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