सोमवार, 28 जनवरी 2013


तू भी आखिर दिल के करीब तो हुआ 
दोस्त हुआ न हुआ.... रकीब तो हुआ 

तुझसे क्यूँ उम्मीदें बेवजह थी मेरी 
तू हुआ न हुआ मेरा नसीब तो हुआ 

तेरा होना कभी......कभी नहीं होना
क्यूँ लगे है कुछ.... अजीब तो हुआ

सारे दुःख दर्द उसके नाम कर दिये 
खुदा हुआ न हुआ... गरीब तो हुआ 

कब्ल नेकियों के शुक्रिया मसीह का कर 
कुछ हुआ न किसी का.. सलीब तो हुआ 

हमसफर न हुआ खुशफहम ख्याल हुआ 
अजब तौर से वो वादाकश हबीब तो हुआ 

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