तू भी आखिर दिल के करीब तो हुआ
दोस्त हुआ न हुआ.... रकीब तो हुआ
तुझसे क्यूँ उम्मीदें बेवजह थी मेरी
तू हुआ न हुआ मेरा नसीब तो हुआ
तेरा होना कभी......कभी नहीं होना
क्यूँ लगे है कुछ.... अजीब तो हुआ
सारे दुःख दर्द उसके नाम कर दिये
खुदा हुआ न हुआ... गरीब तो हुआ
कब्ल नेकियों के शुक्रिया मसीह का कर
कुछ हुआ न किसी का.. सलीब तो हुआ
हमसफर न हुआ खुशफहम ख्याल हुआ
अजब तौर से वो वादाकश हबीब तो हुआ
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