Monday, November 19, 2012
कभी इक
आग का गोला थी धरा
पर ,जीवन का नामोंनिशां
कहीं .......नहीं था
बरसा घन
घोर.........
जल जल
चहुँ ओर
नम हुई धरती
अग्नि और जल के बीच ही
पलता है जीवन कहीँ...
सब जल जल हो
तब भी
जलता है जीवन कहीं ...
.......................... ......................
आग का गोला थी धरा
पर ,जीवन का नामोंनिशां
कहीं .......नहीं था
बरसा घन
घोर.........
जल जल
चहुँ ओर
नम हुई धरती
अग्नि और जल के बीच ही
पलता है जीवन कहीँ...
सब जल जल हो
तब भी
जलता है जीवन कहीं ...
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