Saturday, November 10, 2012
लटका है
बस , थोड़ी बेईमानी से
कुछ इस तरह
कि,
दिख जाए
आसानी से
इक
खटाक ! क् क् क् ....
काफी होती है
बजती है
कान में
चटकती है
नसें
सुन्न पड़े दिमाग में
देर हो चुकी है
खुद को
संभाल पाने में
चारा पाने , खाने
और
हो जाने में ................
बस , थोड़ी बेईमानी से
कुछ इस तरह
कि,
दिख जाए
आसानी से
इक
खटाक ! क् क् क् ....
काफी होती है
बजती है
कान में
चटकती है
नसें
सुन्न पड़े दिमाग में
देर हो चुकी है
खुद को
संभाल पाने में
चारा पाने , खाने
और
हो जाने में ................
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