अस्मिता ....
ये इंसान विन्सान क्या होता है ....
ये तो आलरेडी हम है ही
मेरी असल पहचान
मेरे नाम के आगे जाती है ' मिश्र ' तक
और पूरा विश्व घूम कर आ टिकती है
भारत के ''भोजपुरी भाषी क्षेत्र '' में
जहाँ एक शहर है '' गोरखपुर ''
वही एक '' मोहल्ला '' है जिसमे
कुल ग्यारह गलियाँ है
और उतनी ही नालियां बजबजाती है
सडांध नथूने छेद
दिमाग तक भी आ जाती है
सडांध रोकना था सो
ढांक दिया है कंक्रीट के मोटे स्लैब से
उन बजबजाती गंधाती नालियों को
जो एक बड़े नाले में अंततः मिल जाती हैं
उसी नाले से ठीक पहले
कार्नर का मकान है
एक शमी का वृक्ष भी है उसके उत्तर पूर्व में
चारों ओर सुरक्षा के लिहाज़ से
लोहे की भाले है
हाँ , दो डाबरमैन भी हमने पाले हैं
जी हाँ ....वो ही , मेरा घर है '' अस्मिता ''
जी यही नाम है उसका
हमे उस पे गर्व है...........
ये इंसान विन्सान क्या होता है
ये तो आलरेडी हम है ही .....
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