हर कोई यहाँ चुप है बोलना मना है
और अँधेरा घुप्प है डोलना मना है
भूख के विरुद्ध कोई अनशन मना है
आत्मा हो शुद्ध तो जीवन मना है
हुकुम तो हुकुम है,उदूली मना है
हो जमीर क़र्ज़ में वसूली मना है
तुकबन्दियाँ खूब करो,नारा मना है
कोरस में कोई गीत गाना मना है
सर्दियों में चीथड़ों में कांपना मना है
और तिरंगे से बदन को ढांपना मना है
झालरें से घर सजाओ परचम मना है
रात के आँचल में तारे टांकना मना है
घर के किवाड़ बंद रखो झांकना मना है
खिड़कियों से मुँह उठा के ताकना मना है
सर को झुकाये ही रखो,उठाना मना है
इस निजामे कोहन का,सामना मना है
शामिल है आईन में हुकूक,बस बांच लो
उन हकूकों के लिए मारना मरना , मना है
तोहमतों की चादरें जितनी ओढा दो
पुरउम्मीद ख्वाब बंद आँखों में रहें
तब्सरा कोई ,ज़ुबानी मना है
दर्द हद से गुजर जाए तो रो लेना
कल नुमाइश में मिले जो चीथड़े पहने हुए
उसको हिन्दुस्तान कहना अब,मना है
आशिकी जम के करो ,
रूठना मना है
संग दिल को बनाओ ,चलाना
मना है
आंसू टपक ले आँख से लहू मना है
सर्दियों में चीथड़ों में कांपना मना है
और तिरंगे से बदन को ढांपना मना है
झालरें से घर सजाओ परचम मना है
रात के आँचल में तारे टांकना मना है
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