.......................ये कोई कविता नहीं है
डिस्पोसेबल ग्लास का एक गत्ता
जिसमे
जिसमे
ग्लास चार,साढ़े चार हज़ार
ऐसा दिन भर में
कुल बीस भरना है
कुल बीस भरना है
तब तलक
मुल्तवी मरना है
मुल्तवी मरना है
गत्ता पीछे ,रुपया बारह
और घर मे
एक और एक
कुल इग्यारह
उफ़ , ये गर्मी,
तापमान, चालीस पार
बगल में बच्चा, बीमार ..
एक ग्लास उसके ऊपर , फिर एक और
फिर फिर .....और और
और, एक और गत्ता तैयार
ऐसा करती रहती वो, लगातार
एक आँख बच्चे पर
दूसरी ग्लास की ढेरी पर
ढेरी पर ढेरी
बढती जाती
बढती जाती
मशीन है कि
उगलती जाती
धड धड धड ,,,,धाड़
धड धड धड ,,,,धाड़
हांफती है मशीन
कांपती है जमीन
बच्चा कुनमुनाया
अम्म्म्म अअयाअअया
कलेजा मुंह को आया
क्या करे अब ,
क्या हो....?
क्क कूलेंट ........डालो !
मशीन गरम हुई जा रही है
और वो ठंडी ........
बिना ... कूलेंट ..
दस .. ग्यारह ...... बा....र......ह ..बस
मशीन से कैसे लड़े अब
फिर भी ....
लड़े जा रही है
लड़े जा रही है
लड़ाई जारी है
है.. ल.ड़ा.ई.. जा ...री ..
मशीन से ...मालिक से
मरद से ......खालिक से
मुल्क से .. मुमालिक से
श्याम तन भर बंधा यौवन
महाप्राण ,माफ करो
जल्द से जल्द , साब
अब, हिसाब साफ़ करो
बारह गुणे बीस
दो सौ चालीस .....
..............
बारह गुणे तेरह
एक सौ ..छ प्प...न.
कल से कुल चौरासी कम
साब
खाओ
रहम
रहम... खा...ओ
पैसा पूरा दिलवाओ
क्यों ,क्यों दिलवाओ ,
बच्चा तेरा, क्या मैंने बीमार किया है
बनिए से तेरे,क्या मैंने उधार लिया है
साब .. साब ,
बच्चे की दवा ,नगद
बनिए से सौदा ,नगद
बुढिया के जोड़ों का दरद
ऊपर से स्स्साला '
मेरा मरद
उसका अद्धा भी तो
पूरा नहीं आएगा ....
मगर मेरा बच्चा .....
मर जाएगा ...
मेराआआ ..... बच्चा .....
अच्छा ,अच्छा..!
ओवर टाइम करेगी ??
आज रात भी
मशीन चलेगी
या फिर भूखी मरेगी
इसी वक़्त करेगी
ये ले,
धड धड धड ,,,,धाड़
धड धड धड ,,,,धाड़
तेरी ..........
हिसाब देख--
आठ घंटे में
चार हज़ार गुणे बीस
हुए कितने अस्सी हज़ार ---
एक घंटे में..हुए ....अस्सी बटे आठ
कुल, दस.. हज़ार
एक घंटा, हाँ सिर्फ
एक घंटा ....
ओवर टाइम करवाएगा
या ..अपनी ......
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें