तुम न बोलोगे
तो क्या,
कुछ भी समझ न आएगा
तुम न खोलोगे ,
तो क्या,
सब राज ही रह जाएगा
बोलती हैं आँखे,
और
बोलती है देह भी
बोलते हैं शब्द
और
बोलता है मौन भी
मैं भी चुप
और
तुम भी मौन
इस गहन नीरव को
फिर ये
तोड़ता है कौन
कितने दुःख
संग संग है बांटे
कितने बंधन साथ काटे
फिर यकायक
साथ ऐसे
छोड़ता है कौन
अपने हाथों की लकीरें
गौर से देखो कभी
जिंदगी को
इस भंवर में
मोड़ता है कौन
है अगरचे, रात काली
भोर से पहले,
मगर
शाम का सूरज,
सुबह से
जोड़ता है कौन...
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